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रक्षामन्त्री ईश्वर पोखरेलले भने- महामहिम श्री नरेन्द्र मोदी जी जस्तो प्रखर वौद्धिक तथा विशिष्ट व्यक्तित्व, मोदीले भने- नेपाल बिना धाम भी अधूरा, राम भी अधूरा

Posted on May 11, 2018May 12, 2018 by Salokya

व्यवहारमा नाकाबन्दी लगाएर हामीलाई हाहाकारपूर्ण स्थितिको सामना गर्नुपर्ने बनाए पनि औपचारिक रुपमा त ठीक्क पार्न जान्नै पर्छ। पढ्नुस् आज जनकपुरमा भएको नागरिक अभिनन्दन कार्यक्रममा नेपाल सरकारका तर्फबाट उपस्थित रक्षामन्त्री ईश्वर पोखरेल र भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीले एक अर्काको प्रशंसामा के के बोले। अनि प्रदेश नम्बर २ का मुख्यमन्त्री लालबाबु राउतले मोदीअगाडि कसरी कुरा लगाए।

सावधान : यहाँ भाषणको पूरा अंश छ। पढेर हाँसो उठेमा वा दिक्क लागेमा हामी जिम्मेवार हुनेछैनौँ। 

माननीय रक्षामन्त्री श्री ईश्वर पोखरेलद्वारा मित्रराष्ट्र भारतका प्रधानमन्त्री महामहिम श्री नरेन्द्र मोदीज्यूको स्वागतमा व्यक्त मन्तव्य

बाह्रविघा, जनकपुर
2075/01/28
मित्रराष्ट्र भारतका प्रधानमन्त्री  महामहिम श्री नरेन्द्र मोदीज्यू,
माननीय मन्त्रीज्यूहरु,
प्रदेश नम्बर २ का माननीय मुख्यमन्त्रीज्यू,
संसदका माननीय सदस्यज्यूहरु,
जनकपुर उपमहानगरका प्रमुखज्यू,
भारतीय भ्रमणदलका विशिष्ट सदस्यज्यूहरु,
संचारकर्मी मित्रहरु,
भद्रमहिला तथा सज्जनवृन्द,

नेपाल सरकार र नेपाली जनताको तर्फबाट र मेरो आफ्नै तर्फबाट मित्रराष्ट्र भारतका महामहिम प्रधानमन्त्री एवं भ्रमणदलका विशिष्ट सदस्यहरुलाई यस ऐतिहासिक नगरी जनकपुरधाममा स्वागत गर्ने अवसर पाउँदा खुशी व्यक्त गर्दछु ।

महामहिमज्यू, हामी यहाँ र यहाँको प्रतिनिधिमण्डललाई नेपाल र जनकपुरमा हृदयदेखि नै स्वागत गर्न चाहन्छौं ।

नेपाल र भारतले परापूर्व कालदेखि नै मित्रतापूर्ण सम्बन्धलाई निरन्तरता दिएका छौं । हाम्रा सम्बन्धहरु प्राग् ऐतिहासिक कालदेखि जनताको जीवन पद्दतिसँगै जोडिएका छन् । हामी सभ्यता, संस्कृति, इतिहास र भुगोलबाट अन्तर सम्बन्धित र जोडिएका छौं । हाम्रो सभ्यताको शुरुआतसँगै हाम्रो प्रगाढ मित्रताको सम्बन्ध विकसित हुँदै आएको वास्तविकतालाई हामी कहिल्यै भूल्न सक्दैनौं ।

महामहिमज्यू,

यस जनकपुर शहरले हाम्रो मित्रताको उचाइ बढाउन खेलेको भूमिका बारे यहाँ स्वयं जानकार हुनुहुन्छ । जनकपुर शहर, राजर्षी जनकको भूमि हो । महर्षी यज्ञवल्क्यको पाठशाला हो । गार्गि, मैत्रेयी, माधवी, श्रुत्रीकृती र अन्य विदूषीहरुले विद्वता प्रदर्शित गरेको ऐतिहासिक थलो हो । अझ महत्वपूर्ण कुरा, जनकपुर जानकीको जन्मस्थलको रुपमा सुपरिचित रहँदै आएको ऐतिहासिक स्थल हो । यो ऐतिहासिक नगरीले हामी दुईबीचको सम्बन्धलाई थप प्रगाढ बनाउन भविष्यमा समेत महत्वपूर्ण भूमिका खेल्ने विश्वास गर्दछु ।

शताव्दी पहिले रामायण युगमा, यस शहरद्वारा बांधिएको सुदृढ सामाजिक सम्बन्ध हाम्रो द्वीपक्षीय सम्बन्धको एक महत्वपुर्ण पक्षको रुपमा रहिआएको छ ।

यस शहरले मातृशक्तिलाई आदर र सम्मान गर्ने परम्पराको प्रतिनिधित्व गर्दछ ।

हामी नेपाली जनता खासगरी जनकपुरवासीले भारतीय प्रधानमन्त्री महामहिम श्री नरेन्द्र मोदी जी जस्तो प्रखर वौद्धिक तथा विशिष्ट व्यक्तित्वको जनकपुर जस्तो ऐतिहासिक नगरीमा स्वागत गर्न पाएका छौं ।

महामहिमज्यू,

नेपाल र भारतका बीच रहेको हार्दिक र मित्रवत सम्बन्धको विषयमा केही शब्दहरु व्यक्त गर्न पाउँदा खुसी छु । जनस्तरको सम्बन्ध, भ्रातृत्वको अनुभूति, राष्ट्रिय स्वाभिमानको सम्मान, पारस्पारिक समझदारी र सुभेच्छा हाम्रा सम्बन्धका आधारशिला हुन् । हाम्रो खुल्ला सिमानाले जनस्तरको सम्बन्धलाई निकट बनाएको छ । हामी एक अर्काको सामिप्यतालाई वोध गर्छौ र एक अर्काका संवेदनशिलताप्रति सचेत छौं।

महामहिमज्यू,

हालका वर्षहरुमा खासगरी महामहिमज्यूको प्रधानमन्त्रीत्वमा मित्रराष्ट्र भारतले विकासका सबै क्षेत्रहरुमा उल्लेख्य प्रगति हासिल गरेको छ । हालै सम्पन्न निर्वाचन पछि नेपाल पनि शान्ति, स्थायित्व र सम्वृद्धिको मार्गमा अघि बढ्दै संविधानको प्रभावकारी कार्यान्‍वयनको मार्गमा अग्रसर भएको विषय प्रस्तुत गर्न पाउँदा मलाई खुसी लागेको छ । राजनीतिक मुद्दाहरुको समाधान सँगै मुलुकको विकास र जनताको सम्वृद्धिको काममा हामी पूर्णतः केन्द्रित छौं । यस सन्दर्भमा हाम्रा विकासका प्रयासहरुमा हाम्रो अनन्य मित्रराष्ट्र भारतको सुभेच्छा, समझदारी र सहयोगको अझ बढी आवश्यक छ ।

हामी महामहिमज्यूको सन् २०१४ मा भएको भ्रमणको स्मरण गर्दछौं। महामहिमज्यूद्वारा नेपाल भारत सम्बन्धका विषयमा व्यक्त गर्नुभएको सोच विचार युक्त भनाईहरु हाम्रो हृदयमा ताजै छन् । चार वर्षभन्दा कम समयमा तेस्रोपटकको भ्रमणले हाम्रो युगदेखिको सम्बन्धलाई अझ बढी सुदृढ बनाउँदै दुवै देश र जनताको पारस्परिक हितलाई नयाँ उचाइमा पुर्‍याउने छ । हामी अतितमुखी होइन, भविष्यमुखी भएर अघि बढ्न चाहन्छौं ।

हाम्रा दुबै देशका प्रधानमनन्त्रीज्यूहरुबाट आजै सुभारम्भ गर्नुभएको राम र जानकीको प्रतिकका रुपमा रहेका जनकपुर र अयोध्याबीच सिधा बस सेवा तथा “रामायण वृत्तपथ” ले दुई देश र दुई शहरको जनस्तरको सम्बन्ध र सांस्कृतिक सम्बन्धको विस्तारमा महत्वपूर्ण भूमिका खेल्नेछ ।

महामहिमज्यू,

नेपाल सरकार, नेपाली जनता र मेरो आफ्नै तर्फबाट यहाँ र यहाँको प्रतिनिधि मण्डलको नेपाल बसाईं आनन्ददायी र स्मरणीय रहोस् भन्ने सुभेच्छा व्यक्त गर्दछु। धन्यवाद ।

प्रधानमंत्री का नेपाल यात्रा के दौरान जनकपुर जनसभा मे संंबोधन
मई 11, 2018

जनकपुर जनसभा में संबोधन का ड्राफ्ट शब्द संख्या: 3300 संभावित अवधि : 40 मिनट
गवर्नर
श्री रत्नेश्वर लाल कायस्थ जी,
भारत के पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल के रक्षा मंत्री
श्री इश्वर पोखरेल जी,
अन्य संघीय मंत्री श्री महासेठ और मात्रिका यादव जी,
मुख्यमंत्री
श्री लालबाबु राउत जी,
Province No.2 के अन्य मंत्रीगण,
जनकपुर के मेयर श्री लाल किशोर शाह जी,
विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेतागण
महतो जी, उपेन्द्र जी, बिम्लेंद्र जी,
अन्य उपस्थित महानुभाव और
यहां भारी संख्या में पधारे जनकपुर के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।
जय सिया राम!

राजर्षि जनक
आ जगत् जननी मॉं जानकी
के पवित्र भूमि, गौरवशाली इतिहास भेल
मिथिलाक सांस्कृतिक राजधानी
यी जनकपुरधाम में
हमरा न्योत
द क बजेलौं।
आ यी सम्मान देलौं।
एकरा लेल हम सम्पूर्ण मिथिलावासी,
जनकपुरवासी,
आ प्रदेश नम्बर दु के सम्पूर्ण जनता के नमन करैत
हार्दिक आभार व्यक्त करै छी।
पग पग पोखैर माछ मखान,
सरस बोल मुस्की मुख
पान ।
विद्या वैभव शान्ति प्रतीक,
सरस क्षेत्र मिथिलांचल थिक ।।

भाइयों और बहनों,

अगस्त 2014 में जब मैं प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार नेपाल आया था, तो संविधान सभा में कहा था कि जल्द ही जनकपुर आउंगा। मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं, मुझे आने में थोड़ी देर हो गई। संभवत: सीता मैया ने आज भद्रकाली एकादशी का दिन ही अपने दर्शन के लिए तय किया था। मेरा बहुत समय से मन था कि राजा जनक की राजधानी और जगत्-जननी सीता की पवित्र भूमि पर आकर उन्हें नमन करूं। आज जानकी मंदिर में दर्शन कर, मेरी बहुत सालों की मनोकामना पूरी हुई। मेरो यसपटक को नेपाल भ्रमण प्रधानमंत्री को रूप मा यन्दा पनि प्रधान तीर्थयात्री को रूप मा हुनेछ।

भाइयों और बहनों,

भारत और नेपाल दो देश हैं, लेकिन हमारी मित्रता आज की नहीं त्रेता युग की है। राजा जनक और राजा दशरथ ने सिर्फ़ जनकपुर और अयोध्या ही नहीं, भारत और नेपाल को भी मित्रता और साझेदारी के बंधन में बांध दिया था। ये बंधन है राम-सीता का। बुद्ध का, महावीर का। यही बंधन रामेश्वरम् में रहने वाले को खींच कर पशुपतिनाथ ले आता है। यही बंधन लुम्बिनी में रहने वाले को बोधगया ले जाता है। और यही बंधन, यही आस्था, यही स्नेह, आज मुझे जनकपुर ले आया है। रामायण काल में जनकपुर का, महाभारत काल में विराटनगर का, उसके बाद सिम्रौनगढ का, बुद्ध काल में लुम्बिनी का, ये संबंध युगों-युगों से चलता आ रहा है। भारत नेपाल संबंध किसी परिभाषा से नहीं बल्कि भाषा से बंधे हैं। ये भाषा आस्था की है, ये भाषा अपनेपन की है, ये भाषा रोटी की है और ये भाषा बेटी की है। ये मां जानकी का धाम है, जिसके बिना अयोध्या अधूरी है। हमारी माता भी एक, हमारी आस्था भी एक। हमारी प्रकृति भी एक, हमारी संस्कृति भी एक। हमारा पथ भी एक और हमारी प्रार्थना भी एक। हमारे परिश्रम की महक भी है और हमारे पराक्रम की गूंज भी है। हमारी दृष्टि भी समान, हमारी सृष्टि भी समान हमारे सुख भी समान, औऱ हमारी चुनौतियां भी समान। हमारी आशा भी समान, हमारी आकांक्षा भी समान हमारी चाह भी समान और हमारी राह भी समान हमारे सपने भी समान और हमारे संकल्प भी समान। ये उन कर्मवीरो की भूमि है, जिनके योगदान से भारत की विकास गाथा में और गति आती है।

साथियों,

नेपाल के बिना भारत की आस्था अधूरी है। नेपाल के बिना भारत का विश्वास अधूरा है, इतिहास अधूरा है। नेपाल के बिना हमारे धाम अधूरे, नेपाल के बिना राम भी अधूरे।

भाइयों और बहनों,

आपकी धर्मनिष्ठा सागर से गहरी है और आपका स्वाभिमान सागरमाथा से ऊंचा है। जैसे मिथिला की तुलसी भारत के आंगन में पावनता, शुचिता और मर्यादा की सुगंध फैलाती है वैसे ही नेपाल से भारत की आत्मीयता इस संपूर्ण क्षेत्र को शांति, सुरक्षा और संस्कार की त्रिवेणी से सींचती है। मिथिला की संस्कृति और साहित्य, मिथिला की लोक कला, मिथिला का स्वागत सम्मान सब अद्भुत है। पूरी दुनिया में मिथिला संस्कृति का स्थान बहुत ऊपर है। कवि विद्यापति की रचनायें आज भी भारत और नेपाल में समान रुप से महत्व रखती हैं। उनके शब्दों की मिठास आज भी भारत और नेपाल दोनों के साहित्य में घुली हुई है। जनकपुरधाम आकर, आप लोगों का अपनापन देख कर, ऐसा नहीं लगा कि मैं दूसरों के बीच आया हूं। सब अपने जैसे ही हैं, अपने ही तो हैं।

साथियों,

नेपाल अध्यात्म और दर्शन का केंद्र रहा है। ये वो पवित्र भूमि है, जंहा लुम्बनी है. वो लुम्बनी जंहा भगवान बुह्ध का जन्म हुआ था. साथियों, भूमि कन्या माता सीता उन मानवीय मूल्यों, उन उसूलों और उन परम्पराओं की प्रतीक हैं, जो हम दो राष्ट्रों को एक दूसरे से जोड़ती हैं। जनक की नगरी, सीता माता के कारण स्त्री- चेतना की गंगोत्री बनी है। सीता माता यानि त्याग, तपस्या, समर्पण और संघर्ष की मूर्ति। काठमांडू से कन्याकुमारी तक, हम सभी सीता माता की परंपरा के वाहक हैं। जहां तक उनकी महिमा की बात है तो उनके आराधक तो दुनियाभर में है। ये वो धरती है जिसने दिखाया कि बेटी को किस प्रकार सम्मान दिया जाता है। बेटियों के सम्मान की ये सीख आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

साथियों,

नारी शक्ति की हमारे इतिहास और परंपराओं को संजोने में भी एक बड़ी भूमिका रही है। अब जैसे यहां की मिथिला Paintings को ही लीजिए। इस परंपरा को आगे बढ़ाने में अत्यधिक योगदान महिलाओं का ही रहा है। और मिथिला की यही कला, आज पूरे विश्व में प्रसिद्द हैं। इस कला में भी हमें प्रकृति की, पर्यावरण की चेतना देखने को मिलती है। आज महिला सशक्तिकरण और जलवायु परिवर्तन की चर्चा के बीच मिथिला का दुनिया को ये बहुत बड़ा संदेश है। राजा जनक के दरबार में गार्गी जैसी विदुषी और अष्टावक्र जैसे विद्वान का होना यह भी साबित करता है कि शासन के साथ साथ विद्वता, और आध्यात्म को कितना महत्व दिया जाता था। राजा जनक के दरबार में लोक कल्याणकारी नीतियों पर विद्वानों के बीच बहस होती थी। राजा जनक स्वयं उस बहस में सहभागी होते थे और उस मंथन से जो नतीजा निकलता था उसको प्रजा के हित में, जनता के हित में और देश के हित में लागू करते थे। राजा जनक के लिए उनकी प्रजा ही सबकुछ थी। उन्हें अपने परिवार के रिश्ते-नाते किसी से कोई मतलब नहीं था। बस दिन रात अपनी प्रजा की चिन्ता करने को ही उन्होंने अपना राजधर्म बना लिया था। इसलिए ही राजा जनक को विदेह भी कहा जाता है। विदेह का अर्थ होता है जिसको अपनी देह यानि शरीर से भी कोई मतलब ना हो और सिर्फ जनहित में खुद को खपा दे, लोक कल्याण के लिए अपने को समर्पित कर दे।

भाइयों और बहनों,

राजा जनक और जनकल्याण के इस संदेश को लेकर ही हम आगे बढ़ रहे हैं। आपके नेपाल और भारत के संबंध राजनीति, कूटनीति, समरनीति से परे देव-नीति से बंधे हैं। व्यक्ति और सरकारें आती-जाती रहेंगी, पर ये संबंध अजर, अमर हैं। ये समय हमें मिलकर संस्कार, शिक्षा,शांति, सुरक्षा, और समृद्धि, की पंचवटी की रक्षा करने का है। हमारा ये मानना है कि नेपाल के विकास में ही क्षेत्रीय विकास का सूत्र है। भारत और नेपाल की मित्रता कैसी रही है, इसको रामचरितमानस की इन चौपाइयों के माध्यम से समझा जा सकता है। जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना॥ यानि जो लोग मित्र के दुख से दुखी नहीं होते, उनको देखने मात्र से ही पाप लगता है। इसलिए अगर आपका अपना दुख पहाड़ के जितना विराट भी हो तो उसे ज्यादा महत्व मत दो, लेकिन अगर दोस्त का दुख धूल जितना भी हो तो उसे पर्वत जितना मानकर, जो कर सकते हो करना चाहिए।

साथियों,

इतिहास साक्षी रहा है, जब-जब एक-दूसरे पर संकट आए, भारत और नेपाल दोनों मिलकर खड़े हुए हैं। हमने हर मुश्किल घड़ी में एक दूसरे का साथ दिया है। भारत दशकों से नेपाल का एक स्थाई विकास साझेदार है। नेपाल हमारी ‘Neighborhood First’ policy में सबसे पहले आता है। आज भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर हो रहा है, तो आपका नेपाल भी तीव्रगति से विकास कर रहा है। आज इस साझेदारी को नई ऊर्जा देने के लिए मैं नेपाल आया हूं।

भाइयों और बहनों,

विकास की पहली शर्त होती है लोकतंत्र। मुझे खुशी है कि लोकतांत्रिक प्रणाली को आप मजबूती दे रहे हैं। हाल में ही आपके यहां चुनाव हुए। आपने एक नई सरकार चुनी है। अपनी आशांओं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आपने जनादेश दिया है। एक वर्ष के भीतर तीन स्तर पर चुनाव सफलतापूर्वक कराने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। नेपाल के इतिहास में पहली बार नेपाल के सभी सात प्रांतों में प्रांतीय सरकारें बनी हैं। ये न केवल नेपाल के लिए गर्व का विषय है बल्कि भारत और इस संपूर्ण क्षेत्र के लिए भी एक गर्व का विषय है। नेपाल सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है जो सुशासन और समावेशी विकास पर आधारित है। दस साल पहले नेपाल के नौजवानों ने बुलेट छोड़कर बैलेट का रास्ता चुना। युद्ध से बुद्ध तक के इस सार्थक परिवर्तन के लिए भी मैं नेपाल के लोगों को बधाई देता हूं। लोकतांत्रिक मूल्य एक और कड़ी है जो भारत और नेपाल के प्राचीन संबंधों को मजबूती देती है। लोकतंत्र वो शक्ति है जो सामान्य से सामान्य जन को बेरोक-टोक अपने सपने पूरे करने का अधिकार देता है। भारत ने इस शक्ति को महसूस किया है और आज भारत का हर नागरिक सपनों को पूरा करने में जुटा है। मैं आप सभी की आंखों में वो चमक देख सकता हूं, कि आप भी अपने नेपाल को उसी राह पर आगे बढ़ाना चाहते हैं। मैं आपकी आंखों में नेपाल के लिए वैसे ही सपने देख रहा हूं।

साथियों,

हाल में ही नेपाल के प्रधानमंत्री ओली जी का स्वागत करने का अवसर मुझे दिल्ली में मिला था। नेपाल को लेकर उनका विजन क्या है, ये जानने को मुझे मिला। ओली जी ने “समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली” के सपने संजोये हैं. नेपाल की समृद्धि और खुशहाली की कामना भारत भी हमेशा से करता आया है। प्रधानमंत्री ओली को उनके इस विजन को पूरा करने के लिए मैं शुभकामनाएं देता हूं। ये ठीक उसी प्रकार की सोच है जैसी मेरी भारत के लिए है। भारत में हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास के मूलमंत्र को लेकर आगे बढ़ रही है। समाज का एक भी तबका, देश का एक भी हिस्सा विकास धारा से छूट ना जाए, ऐसा प्रयास मेरा रहा है। पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में विकास का रथ दौड़ रहा है। विशेष तौर पर हमारी सरकार का ध्यान उन क्षेत्रों में ज्यादा रहा है जहां अब तक विकास की रोशनी नहीं पहुंच पाई थी। इसमें पूर्वांचल यानि पूर्वी भारत जो नेपाल की सीमा तक सटा है, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यूपी से लेकर बिहार तक, नॉर्थ ईस्ट, पश्चिम बंगाल से लेकर ओडिशा तक, इस पूरे क्षेत्र को देश के बाकी हिस्से के बराबर खड़ा करने का संकल्प हमने लिया है। इस क्षेत्र में जो भी काम हो रहा है इसका लाभ निश्चित रूप से नेपाल को भी होने वाला है।

भाइयों और बहनों,

जब मैं “सबका साथ, सबका विकास” की बात करता हूं, तो सिर्फ़ भारत के लिए ही नहीं, सभी पड़ोसी देशों के लिए भी मेरी यही कामना होती है। और जब नेपाल में “समृद्द नेपाल, सुखी नेपाली” की बात होती है, तो मेरा मन भी हर्षित होता है। सवा सौ करोड़ भारतवासियों को भी ख़ुशी होती है। जनकपुर के मेरे भाइयों और बहनों, हमने भारत में एक बहुत बड़ा संकल्प लिया है। ये संकल्प है New India का। 2022 को भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। तब तक सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों ने New India बनाने का लक्ष्य रखा है। हम एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां गरीब-से-गरीब व्यक्ति को भी प्रगति के समान अवसर मिले। जहां भेदभाव-ऊंच-नीच ना हो, सबका सम्मान हो। जहां बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई और बुजुर्गों को दवाई मिले। जीवन आसान हो, आम जन को व्यवस्थाओं से जूझना ना पड़े। भ्रष्टाचार और दुराचार से रहित समाज और सिस्टम हो। ऐसे New India की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं। हमने शासन और प्रशासन में कई सुधार किए हैं। प्रक्रियाओं को सरल बनाया है। आज दुनिया हमारे उठाए गए कदमों की तारीफ कर रही है। हम राष्ट्र निर्माण और जनभागीदारी का संबंध और मजबूत कर रहे हैं। नेपाल के सामान्य मानवी के जीवन को भी खुशहाल बनाने में योगदान के लिए सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों को बहुत खुशी होगी।

साथियों,

बंधुता तब और भी प्रगाढ़ होती जब हम एक दूसरे के घर जाते आते हैं। मुझे खुशी है की नेपाल के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के तुरंत बाद मैं यहां आया हूं। जैसे मैं यहां बार-बार आता हूं वैसे ही दोनों देशों के लोग बेरोक-टोक आते-जाते रहे हैं। हम हिमालय पर्वत से जुड़े हैं, तराई के खेत-खलिहानों से जुड़े हैं, अनगिनत कच्चे-पक्के रास्तों से जुड़े हैं, छोटी-बड़ी दर्जनों नदियों से जुड़े हैं, और हम अपनी खुली सीमा से जुड़े हैं। लेकिन आज के युग में सिर्फ़ इतना ही काफी नहीं है। · हमें Highways से जुड़ना है। · हमें Information Ways, यानि i-ways से जुड़ना है। · हमें Trans-ways, यानि बिजली की लाइंस से जुड़ना है। · हमें Railways से जुड़ना है। · हमें Customs Check posts से जुड़ना है। · हमें हवाई सेवा के विस्तार से जुड़ना है। · हमें Inland Waterways से जुड़ना है, जलमार्गों से जुड़ना है। . जल हो, थल हो, नभ हो, अन्तरिक्ष हो, हमें आपस में जुड़ना है. जनता के बीच के रिश्ते-नाते फले-फूलें और मजबूत हों, इसके लिए कनेक्टिविटी अहम है। यही कारण है कि भारत और नेपाल के बीच कनेक्टिविटी को हम प्राथमिकता दे रहे हैं। आज ही प्रधानमंत्री ओली जी के साथ मिल कर मैंने जनकपुर से अयोध्या की बस सेवा का उद्घाटन किया है। पिछले महीने प्रधानमंत्री ओली और मैंने बीरगंज में पहली Integrated Check Post का उद्घाटन किया। जब ये पोस्ट पूरी तरह से काम करना शुरु करेगी तब सीमा पर व्यापार और आवाजाही और आसान हो जाएगी। जयनगर-जनकपुर रेलवे लाईन पर भी तेजी से काम चल रहा है। इस वर्ष के अंत तक इस लाइन को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। जब ये रेल लाइन पूरी हो जाएगी, तब नेपाल, भारत के विशाल रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगा। अब हम बिहार के रक्सौल से होते हुए काठमांडू को भारत से जोड़ने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं हम जलमार्ग से भी भारत और नेपाल को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। नेपाल जल्द भारत के जलमार्गों के जरिए समुद्र से भी जुड़ जाएगा। इन जलमार्गों से नेपाल में बना सामान दूसरे देशों तक आसानी से पहुंच पाएगा। इससे नेपाल में उद्योग लगेंगे, रोजगार के नए अवसर बनेंगे। ये परियोजनाएं न केवल नेपाल के सामाजिक-आर्थिक बदलाव के लिए जरूरी हैं बल्कि कारोबार के लिहाज़ से भी जरूरी है। आज भारत और नेपाल के बीच बड़ी मात्रा में व्यापार होता है। लोग व्यापार के लिए यहां वहां जाते हैं। पिछले महीने हमने कृषि क्षेत्र में एक नई साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी के तहत कृषि के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। दोनों देशों के किसानों की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए इस पर ध्यान दिया जाएगा। खेती के क्षेत्र में साइंस और टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल में सहयोग बढ़ाया जाएगा.

भाइयों और बहनों,

आज के युग में Technology के बिना विकास असंभव है। भारत स्पेस टेक्नॉलॉजी में दुनिया के टॉप पांच देशों में है। आपको याद होगा पहली बार जब मैं नेपाल आया था, तब मैंने कहा था कि भारत नेपाल जैसे अपने पड़ोसियों के लिए एक उपग्रह भेजेगा। अपने वादे को मैं पिछले वर्ष पूरा कर चुका हूं। पिछले वर्ष भेजा गया साउथ एशिया सैटेलाइट आज पूरी क्षमता से अपना काम कर रहा है और नेपाल को इसका लाभ मिल रहा है।

भाइयों और बहनों,

भारत और नेपाल के विकास के लिए Five-T के रास्ते पर हम चल रहे हैं। Tradition, Trade, Tourism, Technology और Transport यानि परंपरा, व्यापार, पर्यटन प्रौद्योगिकी और परिवहन से हम नेपाल और भारत को विकास के रास्ते पर आगे ले जाना चाहते हैं।

साथियों,

संस्कृति के अलावा भारत और नेपाल के बीच व्यापार भी रिश्तों की एक अहम कड़ी है। नेपाल बिजली उत्पादन के क्षेत्र में तेज़ी से विकास कर रहा है। आज भारत से लगभग 450 मेगावाट बिजली नेपाल को सप्लाई होती है। इसके लिए हमने नई ट्रांसमिशन लाइंस बिछाई हैं।

साथियों,

2014 में नेपाल की संविधान सभा में मैंने कहा था, कि ट्रकों के द्वारा तेल क्यों आना चाहिए, सीधे पाइपलाइन से क्यों नहीं ? आपको ये जानकर खुशी होगी कि हमने मोतिहारी-अमलेखगंज Oil Pipeline का काम भी शुरू कर दिया है। भारत में हमारी सरकार स्वदेश दर्शन नाम की योजना चला रही है। जिसके तहत हम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और आस्था के स्थानों को आपस में जोड़ रहे हैं। रामायण सर्किट में हम उन सभी स्थानों को जोड़ रहे हैं जहां-जहां भगवान राम और मां जानकी के पग पड़े। अब इस कड़ी में नेपाल को भी जोड़ा जा सकता है। यहां जहां-जहां रामायण के निशान हैं उन्हें भारत के बाकी हिस्सों से जोड़कर, श्रद्धालुओं को सस्ती और आकर्षक यात्रा का आनंद दिया जा सकता है।

भाइयों और बहनों,

हर साल विवाह पंचमी पर भारत से हज़ारों श्रद्धालु अवध से जनकपुर आते हैं। पूरे साल भर परिक्रमा के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत ना हो, इसलिए, मुझे ये घोषणा करते हुए खुशी है, कि जनकपुर और पास के क्षेत्रों के विकास की नेपाल सरकार की योजना में हम सहयोग देंगे। भारत की ओर से इस काम के लिए 100 करोड़ रूपए की सहायता दी जाएगी। इस काम में नेपाल सरकार और Provincial (प्रोविंशियल) सरकार के साथ मिल कर Projects की पहचान की जाएगी। ये राजा जनक के समय से परंपरा चली आ रही है कि जनकपुरधाम ने अयोध्या को ही नहीं पूरे समाज के लिए कुछ ना कुछ दिया है। मैं तो सिर्फ़ यहां मां जानकी के दर्शन करने आया था। जनकपुर के लिए यह घोषणाएं भारत की सवा सौ करोड़ जनता की ओर से मां जानकी के चरणों में समर्पित हैं। ऐसे ही दो और कार्यक्रम है बुद्धिस्ट सर्किट और जैन सर्किट । इसके तहत बुद्ध और महावीर जैन से जुड़े जितने भी स्थान भारत में हैं, उन्हें आपस में जोड़ा जा रहा है। नेपाल में बौद्ध और जैन आस्था के कई स्थान हैं। ये भी दोनों देशों के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अच्छा काम हो सकता है। इससे नेपाल में युवाओं के लिए रोजगार के भी अवसर जुटेंगे।

भाइयों और बहनों,

हमारे खान-पान और बोलचाल में बहुत समानताएं हैं। मैथिली भाषियों की तादाद जितनी भारत में है उतनी ही यहां नेपाल में भी है। मैथिली कला-संस्कृति और सभ्यता की चर्चा विश्व स्तर पर होती है। दोनों देश जब मैथिली के विकास के लिए मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे, तभी इस भाषा का विकास संभव हो पाएगा। मुझे पता चला है कि कुछ मैथिली फिल्म निर्माता अब नेपाल, भारत समेत क़तर और दुबई में भी एक साथ नई मैथिली फिल्में रिलीज करने जा रहे हैं। ये एक स्वागत योग्य कदम है। इसको बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जिस प्रकार यहां मैथिली बोलने वालों की काफी ज्यादा संख्या है वैसे ही भारत में नेपाली बोलने वालों की संख्या ज्यादा है। नेपाली भाषा के साहित्य के अनुवाद को भी बढ़ावा देने का प्रयास चल रहा है। आपको ये भी बता दूं कि नेपाली भारत की उन भाषाओं में शामिल है, जिन्हें भारतीय संविधान में मान्यता दी गई है।

भाइयों और बहनों,

एक और क्षेत्र है जहां हमारी ये साझेदारी और आगे बढ़ सकती है। भारत की जनता ने स्वच्छता का एक बहुत बड़ा अभियान छेड़ा है। यहां बिहार और पड़ोस के दूसरे राज्यों में जब आप अपनी रिश्तेदारी में जाते हैं, तब आपने भी देखा और सुना होगा। सिर्फ तीन चार साल में ही 80 प्रतिशत से अधिक भारत के गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। भारत के हर स्कूल में बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट सुनिश्चित किए गए हैं। मुझे ये जानकर बहुत खुशी हुई कि ‘स्वच्छ भारत’ और ‘स्वच्छ गंगा’ की तरह आप लोगों ने जनकपुर के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों को साफ करने का सफल अभियान चलाया है। पौराणिक महत्व के स्थानों को सहेजने के प्रयासों से नेपाल के युवाओं का जुड़ना और भी खुशी की बात है। मैं, विशेष रूप से यहां के मेयर को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने स्वच्छ जनकपुर अभियान आरंभ किया है।

भाइयों और बहनों,

आज मैंने मां जानकी का दर्शन किया, कल मुक्तिनाथ धाम और फिर पशुपतिनाथ जी का आशीर्वाद लेने भी जाऊंगा। मुझे विश्वास है कि देव आशीर्वाद और आप जनता के आशीष से जो भी समझौते होंगे वो समृद्ध नेपाल और खुशहाल भारत के संकल्प को साकार करने में सहायक होंगे। एक बार फिर से जय सियाराम !

प्रदेश २ का मुख्यमन्त्रीको सम्बोधन

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